डायबिटीज से जुड़ी जटिलताएँ और अन्य बीमारियाँ

Nov 18, 2025

डायबिटीज (मधुमेह) सिर्फ ब्लड शुगर का बढ़ना नहीं है, बल्कि यह शरीर के कई अंगों और प्रणालियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। अगर डायबिटीज को सही समय पर नियंत्रित नहीं किया जाए, तो यह दीर्घकालिक जटिलताओं और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। इस ब्लॉग में डायबिटीज की प्रमुख जटिलताओं और उनसे जुड़ी बीमारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।

डायबिटीज की प्रमुख जटिलताएँ

  • हृदय रोग और स्ट्रोक: डायबिटीज वाले लोगों को हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा दोगुना या तिगुना बढ़ जाता है। ब्लड शुगर का लंबे समय तक बढ़ा रहना धमनियों को कमजोर कर देता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है.

  • किडनी की बीमारी (डायबिटिक नेफ्रोपैथी): डायबिटीज किडनी को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है.

  • आँखों की समस्याएँ (डायबिटिक रेटिनोपैथी): डायबिटीज आँखों की रेटिना को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे धीरे-धीरे दृष्टि कमजोर हो सकती है और अंधापन तक हो सकता है.

  • तंत्रिका क्षति (न्यूरोपैथी): डायबिटीज तंत्रिकाओं को कमजोर कर देता है, जिससे हाथ-पैर में झनझनाहट, दर्द या सुन्नपन हो सकता है। इससे पैरों में घाव भी जल्दी नहीं भरते और गंभीर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

  • संक्रमण का खतरा: डायबिटीज वाले लोगों को त्वचा, मुंह और अन्य अंगों में संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। इसका कारण ब्लड शुगर का लंबे समय तक बढ़ा रहना है.

  • पैरों की समस्याएँ: डायबिटीज के कारण पैरों में रक्त संचार कम हो जाता है, जिससे घाव जल्दी नहीं भरते और अंग कटवाने तक की स्थिति बन सकती है.

डायबिटीज से जुड़ी अन्य बीमारियाँ

  • हाई ब्लड प्रेशर: डायबिटीज वाले लोगों में ब्लड प्रेशर भी अक्सर बढ़ जाता है, जिससे हृदय और किडनी की समस्याएँ और बढ़ जाती हैं.

  • मोटापा और फैटी लिवर: डायबिटीज और मोटापा एक-दूसरे के साथ जुड़े होते हैं। इससे लिवर में फैट जमा होने लगता है, जिससे फैटी लिवर और लिवर रोग का खतरा बढ़ जाता है.

  • मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ: डायबिटीज वाले लोगों में डिप्रेशन और एंग्जाइटी का खतरा भी अधिक रहता है.

जटिलताओं से बचने के उपाय

  • ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें।

  • नियमित व्यायाम और संतुलित आहार अपनाएँ।

  • धूम्रपान और शराब से बचें।

  • नियमित जांच करवाएँ (आँख, किडनी, तंत्रिका और पैरों की जांच)।

  • डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएँ लें और लाइफस्टाइल में सुधार करें.

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