1 और टाइप 2 डायबिटीज़ के बीच अंतर: कारण, लक्षण और उपचार |

Nov 10, 2025

डायबिटीज क्या है?

डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर ग्लूकोज (शर्करा) को सही ढंग से उपयोग नहीं कर पाता, जिससे रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। ग्लूकोज शरीर की कोशिकाओं के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है, और इसे कोशिकाओं तक पहुंचाने के लिए इंसुलिन नामक हार्मोन की आवश्यकता होती है जो अग्नाशय (पैंक्रियास) द्वारा बनता है।

टाइप 1 डायबिटीज़

  • यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अग्नाशय की इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें नष्ट कर देती है।

  • इसके कारण शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, जिससे इंसुलिन की कमी हो जाती है।

  • यह बीमारी ज्यादातर बचपन या युवावस्था में होती है, लेकिन किसी भी उम्र में हो सकती है।

  • टाइप 1 डायबिटीज़ के लक्षण तेजी से प्रकट होते हैं, जैसे अत्यधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, वजन कम होना, थकान और धुंधली दृष्टि।

  • इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इंसुलिन थेरेपी के द्वारा इसे नियंत्रित किया जाता है। मरीजों को दिन में कई बार ब्लड शुगर की जांच करनी पड़ती है।

टाइप 2 डायबिटीज़

  • यह मुख्यतः इंसुलिन प्रतिरोध की वजह से होता है, जिसमें शरीर इंसुलिन का सही उपयोग नहीं करता या अग्नाशय पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता।

  • यह वयस्कों में अधिक आम है, पर आजकल यह युवाओं और बच्चों में भी देखा जा रहा है।

  • इसके विकास में मोटापा, खराब आहार, और निष्क्रिय जीवनशैली प्रमुख कारण हैं।

  • टाइप 2 डायबिटीज़ के लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होते हैं और कई बार यह लंबे समय तक बिना लक्षण के भी रह सकती है।

  • उपचार में जीवनशैली में बदलाव, आहार नियंत्रण, व्यायाम, दवाइयां, और कभी-कभी इंसुलिन की आवश्यकता होती है।

मुख्य अंतर सारणी में

पहलू टाइप 1 डायबिटीज़ टाइप 2 डायबिटीज़
कारण ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया, इंसुलिन उत्पादन बंद इंसुलिन प्रतिरोध और कम उत्पादन
उम्र का प्रभाव आमतौर पर बचपन या युवा अवस्था अधिकांशतः वयस्कता, पर युवाओं में भी बढ़ रहा
शुरुआत तेज और अचानक धीरे-धीरे, कभी लक्षण नहीं भी दिखते
उपचार इंसुलिन इंजेक्शन जरूरी जीवनशैली बदलाव, दवाएं, कभी इंसुलिन
लक्षण की तीव्रता तीव्र और स्पष्ट धीरे-धीरे विकसित, कभी अस्पष्ट


डायबिटीज़ का प्रभाव और जोखिम

दोनों प्रकार के डायबिटीज़ से हृदय रोग, गुर्दा रोग, दृष्टि दोष, तंत्रिका क्षति जैसी जटिलताएं हो सकती हैं। इसलिए समझदारी से प्रबंधन ज़रूरी है। टाइप 1 में इंसुलिन थेरपी रोज़ाना ज़रूरी होती है, जबकि टाइप 2 में पहले जीवनशैली में सुधार के साथ इलाज शुरू होता है।

सुझाव

टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज़ के लक्षणों और संभावित जोखिमों को समझना और समय रहते डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है। स्ट्रेस से बचना, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और ब्लड शुगर मॉनिटरिंग अच्छी प्रगति के लिए आवश्यक हैं।



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