प्रोबायोटिक्स का मधुमेह पर प्रभाव: क्या कहते हैं वैज्ञानिक अध्ययन?

Dec 22, 2025

प्रोबायोटिक्स क्या हैं और मधुमेह से कैसे जुड़े?

प्रोबायोटिक्स जीवित अच्छे बैक्टीरिया हैं जो आंत के माइक्रोबायोम को संतुलित करते हैं। मधुमेह रोगियों में खराब आंत स्वास्थ्य इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ाता है, जबकि प्रोबायोटिक्स सूजन कम कर रक्त शर्करा नियंत्रण में सहायक सिद्ध हुए हैं। भारत जैसे देश में जहां 77 मिलियन से अधिक टाइप 2 मधुमेह के केस हैं, ये पारंपरिक खाद्य जैसे दही से आसानी से मिल जाते हैं।

टाइप 2 मधुमेह पर रिसर्च के मुख्य निष्कर्ष

मेटा-एनालिसिस दिखाते हैं कि प्रोबायोटिक्स उपचार से फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज (FBG) 3-13 mg/dL और HbA1c 0.3-0.5% तक कम हो सकता है, खासकर 6-12 सप्ताह में मल्टी-स्ट्रेन फॉर्मूला से। लैक्टोबैसिलस और बिफिडोबैक्टीरियम जैसे स्ट्रेन इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाते हैं और लिपिड प्रोफाइल सुधारते हैं। सिनबायोटिक्स (प्रोबायोटिक्स + प्रीबायोटिक्स) अकेले प्रोबायोटिक्स से बेहतर परिणाम देते हैं।

टाइप 1 मधुमेह में प्रभाव

टाइप 1 में अध्ययन कम हैं, लेकिन मल्टीस्पीशीज प्रोबायोटिक्स से HbA1c और सूजन में कमी देखी गई। बच्चों में छोटे HbA1c ड्रॉप (~0.25%) नोट हुए, लेकिन बड़े ट्रायल्स की जरूरत है।

प्रोबायोटिक दही और सप्लीमेंट्स के फायदे

प्रोबायोटिक दही से T2D में FBG, HbA1c और LDL कम होता है। भारतीय घरों में घर का दही या छाछ रोजाना लें: बिना चीनी का, नट्स के साथ। सप्लीमेंट्स डॉक्टर की सलाह से लें, खासकर इंसुलिन यूजर्स के लिए।

भारतीय आहार में शामिल करने के टिप्स

  • रोज 1 कटोरी प्लेन दही या लस्सी पिएं, जिसमें लाइव कल्चर हो।

  • प्रीबायोटिक्स के लिए प्याज, लहसुन, केला जोड़ें।

  • पोर्शन कंट्रोल रखें और ब्लड शुगर मॉनिटर करें।

सावधानियां और सलाह

प्रोबायोटिक्स सहायक हैं, मुख्य उपचार नहीं; डॉक्टर से सलाह लें। व्यक्तिगत रिस्पॉन्स चेक करें, खासकर खराब कंट्रोल वाले मामलों में। संतुलित डाइट, व्यायाम के साथ मिलाकर इस्तेमाल करें।

  1. https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC8166562/
  2. https://tap.health/probiotics-prebiotics-diabetes/
  3. https://www.frontiersin.org/journals/endocrinology/articles/10.3389/fendo.2024.1392306/full

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