फाइबर, देसी खाना और गट माइक्रोबायोम: भारतीय थाली से शुगर कंट्रोल कैसे बेहतर हो सकता है?

Dec 24, 2025

गट माइक्रोबायोम क्या है और डायबिटीज से कैसे जुड़ा?

आंतों में अरबों बैक्टीरिया का समूह गट माइक्रोबायोम कहलाता है, जो खाना पचाने, इम्यूनिटी और ब्लड शुगर रेगुलेशन में मदद करता है। असंतुलन (डिस्बायोसिस) से इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ता है, जो टाइप-2 डायबिटीज का मुख्य कारण है। भारतीय आहार में फाइबर इस बैलेंस को बहाल करता है।

फाइबर: अच्छे बैक्टीरिया का ईंधन

फाइबर (जैसे सोलuble और insoluble) आंतों के अच्छे बैक्टीरिया द्वारा किण्वित होकर शॉर्ट चेन फैटी एसिड्स (SCFAs) जैसे ब्यूटिरेट बनाता है। ये SCFAs इंसुलिन सिग्नलिंग सुधारते हैं और लिवर में ग्लूकोज उत्पादन रोकते हैं। बाजरा, ज्वार, रागी जैसी अनाज रोज 30-50 ग्राम फाइबर देते हैं।

भारतीय थाली के सुपरफूड्स गट के लिए

  • बाजरा-ज्वार रोटी: हाई फाइबर, कम GI; बैक्टीरिया को फीड करते हुए शुगर स्पाइक रोकते हैं।

  • दालें और छोले: प्रीबायोटिक फाइबर से Bifidobacteria बढ़ाते हैं, इंसुलिन संवेदनशीलता 20% तक बेहतर।

  • हरी सब्जियां (पालक, भिंडी): इनुलिन जैसे फाइबर leaky gut ठीक करते हैं।

  • दही/अचार: प्रोबायोटिक्स के साथ फाइबर मिलकर माइक्रोबायोम डाइवर्सिटी बढ़ाते हैं।

रोजमर्रा के टिप्स: थाली से शुगर कंट्रोल

सुबह बाजरा खिचड़ी, दोपहर दाल-सब्जी, रात रागी रोटी लें। 25-35 ग्राम फाइबर लक्ष्य रखें, पानी ज्यादा पिएं। 4 हफ्तों में स्टूल टेस्ट से माइक्रोबायोम सुधार दिखेगा, HbA1c घटेगा। व्हाइट राइस-मैदा छोड़ें।

अध्ययन और भारतीय संदर्भ

हाल के रिसर्च में पाया गया कि फाइबर-रिच भारतीय डाइट से डिस्बायोसिस 40% कम होता है, खासकर शहरी डायबिटीज मरीजों में। देसी खाना न सिर्फ सस्ता है, बल्कि गट हेल्थ के लिए वैज्ञानिक रूप से सिद्ध।

  1. https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC12332526/
  2. https://www.lalpathlabs.com/blog/what-are-the-role-of-gut-health-in-diabetes-management/
  3. https://hsph.harvard.edu/news/study-links-gut-microbiome-changes-to-increased-risk-of-type-2-diabetes/

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